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सहकारी संगठन स्वरूप के उद्देश्य क्या है? इसके गुण और सीमाएँ बताइये।

सहकारी संगठन एक विशेष प्रकार का संगठन होता है जिसका मुख्य उद्देश्य सदस्यों की सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। सहकारी संगठनों के महत्वपूर्ण गुण और सीमाएँ निम्नलिखित होती हैं:

मुख्य उद्देश्य:

  1. सामाजिक समृद्धि: सहकारी संगठनों का प्रमुख उद्देश्य सदस्यों की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि को प्राप्त करना होता है। इन संगठनों का मुख्य ध्यान सदस्यों के वाणिज्यिक और सामाजिक हित की प्रोत्साहना में होता है।
  2. सामूहिक सहायता: सहकारी संगठन अपने सदस्यों के बीच सामूहिक सहायता और समर्थन प्रदान करते हैं। इसका मतलब है कि सदस्य संगठन के माध्यम से बेहतर वस्त्र, खाद्य, वित्तीय सेवाएँ, और अन्य सामग्री का उत्पादन और पहुँच पा सकते हैं।

महत्वपूर्ण गुण:

  1. स्वामित्व और नियंत्रण: सहकारी संगठनों के सदस्य अपने संगठन का स्वामित्व रखते हैं और उसका प्रबंधन करते हैं। इसका मतलब है कि वे नियंत्रण में होते हैं और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लेते हैं।
  2. सर्वसम्मति का प्रावधान: सहकारी संगठनों में सर्वसम्मति की प्रक्रिया होती है, जिससे सभी सदस्यों को संगठन के निर्णय में भागीदारी का मौका मिलता है।

सीमाएँ:

  1. सदस्यता: सहकारी संगठन के सदस्यों की संख्या सीमित होती है और आमतौर पर वे उसके सदस्य बनने के लिए कुछ नियमों और प्रक्रियाओं को पालन करने के लिए योग्य होते हैं।
  2. सामूहिक धन: सहकारी संगठनों के पास सामूहिक धन होता है, जिसे सदस्यों के लिए उपयोगिता के लिए निवेश किया जाता है। इस धन का प्रबंधन संगठन के नियंत्रण में होता है।
  3. सामूहिक सेवाएँ: सहकारी संगठन अक्सर अपने सदस्यों के लिए सामूहिक सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे कि उचित दामों पर सामग्री प्राप्ति, उत्पादों की पुनर्निर्माण, और वित्तीय सलाह देना।

सहकारी संगठन सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण और सामाजिक संगठन होते हैं, जो सदस्यों के आर्थिक स्वावलंबन और सामूहिक विकास को बढ़ावा देने का काम करते हैं।

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