पॉलीसैकराइड और स्टार्च (मंड) नोड्स | DNHE-1 | IGNOU DNHE NOTES

पॉलीसैकराइड और स्टार्च (मंड) के बारे में बात करेगें। यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर IGNOU DNHE प्रश्नपत्र में बहूत सारे प्रश्न पुछे जाते है। आइये शुरु करते है –  

पॉलीसैकराइड किसे कहते है?

  • पॉलीसैकराइड, कई मोनोसैचेराइड यूनिट (monosaccharide units) से मिलकर बना हुआ होता है और इसमें जो मोनोसैचेराइड यूनिट (monosaccharide units) होती हैं, वह एक दूसरे से ग्लाइकोसिडिक लिंकेज (glycosidic linkage) के के माध्यम से जुडी होती हैं। इस लिंकेज को हम एसीड हाइड्रोलाइसिस ( acid hydrolysis) या एंजाइमेटिक हाइड्रोलाइसिस (enzymatic hydrolysis) के जरिये तोड़ कर सकते हैं।
  • Polysaccharides एक तरह के महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनको हम पौधो से प्राप्त करते हैं और पौधे इनको CO2 और पानी की मदद से प्रकाश संश्लेषण के माध्यम उत्पन्न करते हैं।
  • Polysaccharides रंगहीन, स्वादहीन और आकारहीन पाउडर होते हैं। अर्थात् क्रिस्टलाइन फॉर्म में एग्जिट नहीं करते हैं।
घुलनशीलता
  • Polysaccharides पानी, एल्कोहल और ईथर तीनों में अघुलनशील होते हैं।
Polysaccharides के एक अणु
  • Polysaccharides के एक अणु में 100 और 1000 मोनोसैकराइड इकाइयों का संयोजन होता हैं।

स्टार्च (मंड) क्या है –

  • स्टार्च को अमाइलम (c6h10o5)n भी कहते हैं।
  • मॉलिक्यूलर फार्मूला = (c6h10o5)n
  • स्टार्च, मानव आहार में कार्बोहाइड्रेट का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है। यह मुख्यत: बीज, जड़ें और कंद में पाया जाता है। इसके अलावा अगर स्टार्च की सबसे अधिक खाने योग्य रुप की बात करें तो वह गेंहु, चावल,आलू और मक्का।
  • स्टार्च D-(+)-ग्लूकोज इकाइयां से बनता है।
स्टार्च विशेषता –
  • स्टार्च ठंडे पानी में अघुलनशील होता है। लेकिन अगर हम स्टार्च और पानी के प्रलंबन (सस्पेंशन) को गर्म करते हैं तो स्टार्च दाने फूल जाते हैं और फट जाते है। जल (पानी) के साथ मिल कर एक पेस्ट का निर्माण करते हैं।
  • स्टार्च non-reducing वाले पॉलीसेकेराइड्स होते है। इसलिए यह टोलेंस रिएजेंट और स्वेलिंग सॉल्यूशन को कम नहीं करता है और oseazone भी नहीं बनाता है।
स्टार्च का विभाजिकत –

स्टार्च को 2 खण्ड ए और बी में विभाजिकत कर सकते हैं। इसके लिए हम स्टार्च और पानी को 343k टेंपरेचर पर गर्म करते हैं तो एक कोलॉइडी विलयन बनता है। इस कोलॉइडी विलयन में 1-butonol मिलकर के इसको ठंडा करते हैं तो इससे एक प्रेसिपिटेटर फॉर्मेशन होता है तो हम उस मिक्सर को फिल्टर करेंगे तो प्रेसिपिटेटेड (ppt) और फिल्ट्रेट (filtrate) अगल हो जाएगा, जो प्रेसिपिटेंट बनता है उसको हम फ्रेक्शन ए या इसको हम Amylose कहते हैं और यह स्टार्च का 20% भाग होता है। फिर फिल्ट्रेट के रिएक्शन जब CH3OH के साथ करवाते हैं तो एक प्रेसिपिटेटेड (ppt)  और बनेगा तो इस प्रेसिपिटेंट को हम फ्रेक्शन B या  एमाइलॉपेक्टिन (amylopectin) कहेंगे और ये स्टार्स का 80% परसेंट होता है।

Amylose और एमाइलॉपेक्टिन (amylopectin)

Amylose और एमाइलॉपेक्टिन (amylopectin) उच्च आणविक भार (molecular weight) के अलग कार्बोहाइड्रेट होते हैं, लेकिन इनका आण्विक (moleculor) फार्मूला समान होता है। Amylose और एमाइलॉपेक्टिन (amylopectin) दोनों हाइड्रोलाइसिस करने पर D ग्लूकोज में बदल जाते हैं। अब अगर इनका एसिडिक हाइड्रोलाइसिस नियंत्रित स्थिति में करते हैं या इसका एंजाइमेटिक हाइड्रोलाइसिस करते हैं तो यह कम आणविक भार पॉलीसेकेराइड गोंद में बदल जाते हैं। यह गोंद (डेक्सट्रिन), माल्टोज में कन्वर्ट होगा और माल्टोज अंततः डी प्लस ग्लूकोस में बदल जाएगा।

एमाइलोज की संरचना (स्ट्रक्चर)

एमाइलोज की संरचना में कई सारी अल्फा ग्लूकोज की यूनिट – अल्फा लिंकेज के जरिये बदलते रुप में जुड होती हैं अल्फा लिंकेज को 1,4 ग्लाइकोसिडिक लिंकेज कहते हैं क्योंकि यहां पर जो लिंकेज हो रहा है उसमें 1 यूनिट का c1 कार्बन और दूसरी यूनिट का c4 कार्बन होते है।

एमाइलॉपेक्टिन की संरचना

  • 1-4 ग्लाइकोसिडिक लिंकेज – अल्फा ग्लूकोस की लंबी श्रृंखला होती हैं उसमें क्रॉसलिंकिंग भी होती हैं। अब श्रृंखला में जो लिंकेज हो रहा हैं उसको हम 1-4 Glycosidic Linkage कहते है।
  • 1-6 ग्लाइकोसिडिक लिंकेज – शाखा गठन या क्रॉसलिंकिंग में जो लिंकेज हो रहा है उसको हम 1-6 ग्लाइकोसिडिक लिंकेज कहेंगे क्योंकि इसमें 1 यूनिट का पहला कार्बन और दूसरे यूनिट का 6 कार्बन भाग लेते है।

स्टार्च के उपयोग –

  • इसका उपयोग कैंडी, स्वीट, ग्लूकोस, dextrins और एल्कोहल की तैयारी किया जाता है।
  • अब अगर कॉर्न स्टार्च का आंशिक हाइड्रोलाइसिस करते हैं तो कॉन सिरप का निर्माण होता है।
  • कॉन सिरप, कार्बोहाइड्रेट की विभिन्न लंबी श्रृंखला, माल्टोज और ग्लूकोज का एक मिक्सर होता है।
  • स्टार्च कई सारे भोजन का एक महत्वपूर्ण घटक होता है।
  • स्टार्च का उपयोग आयोडोमेट्रिक अनुमापन में सूचक रुप में किया जाता है
  • पेपर और टेक्सटाइल की आकार और सख्त करने मैं स्टार्च का यूज किया जाता है।

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