आह्वान कविता से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न व उत्तर

विकास करने के लिए कर्मशील होना आवश्यक है’ यह विचार कविता के माध्यम से हमें सुनाया गया है। यह कविता उस समय का चित्रण करती है जब हमारा देश गुलाम था और लोगों में हताशा और निराशा का वातावरण था। इस संदेशयुक्त कविता में कवि ने स्पष्ट किया है कि भाग्य पर निर्भर रहकर ही सफलता नहीं मिलती, बल्कि मेहनत और कर्मशीलता से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

यह कविता हमें यह सिखाती है कि आलस्य के साथ विकास संभव नहीं है और भाग्य को ही दोषी ठहराना उचित नहीं है। इसके बजाय, हमें उद्यमी और समर्थ कर्मशील बनने की आवश्यकता है। कवि ने एकजुटता, संघर्ष, और सहयोग की महत्वपूर्णता को भी बताया है, जो समृद्धि की दिशा में हमारी मदद कर सकते हैं।

कविता में उपयुक्त शब्दों का उपयोग करके कवि ने यह साबित किया है कि सफलता पाने के लिए उद्यम, परिश्रम, और संघर्ष जीवन में कितना महत्वपूर्ण हैं। भाग्य और ईश्वर पर निर्भरता की बजाय, हमें स्वयं पर भरोसा करना चाहिए और कर्मशीलता के माध्यम से अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

कविता का मुख्य विचार:

कविता में कवि ने यह साबित करने का प्रयास किया है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कर्मशीलता और समर्पण आवश्यक हैं। भाग्य और ईश्वर की शक्ति पर पूरा भरोसा करना उपयुक्त नहीं है, बल्कि व्यक्ति को अपने कर्मों में आत्मविश्वास रखना चाहिए।”

राष्ट्रीय कवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा आह्वान कविता लिखी गई है। जब यह कविता लिखी गई थी, तब देश में स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था और देशभक्त इन पंक्तियों को गाकर सत्याग्रह जुलूस और प्रभात फेरी में भाग लेते थे। क्योंकि इन पंक्तियों में ऐसा उत्साह और प्रवाह है जो निराशा में डूबे व्यक्ति के मन में उत्साह और उत्साह पैदा करता है। ऐसी भाषा को सशक्त भाषा (ओजपूर्ण भाषा)  कहा जाता है।


भावार्थ – प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने देश के निराश, हताश और निष्क्रिय लोगों का आह्वान किया है। कवि नये जोश का संचार कर देश की जनता को सक्रिय बनाना चाहता है। कवि की इच्छा है कि देश न केवल अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो बल्कि आगे बढ़ते हुए विकास भी करे। इसीलिए कवि मैथिलीशरण गुप्त ने लोगों से ऊपर उठने और कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया है।

कवि का कहना है कि बिना मेहनत के सामने रखा भोजन का एक टुकड़ा भी मुंह में नहीं जाता। जैसे दीया जलाने के लिए तेल की जरूरत होती है। उसी तरह भाग्य बदलने के लिए लिए कर्म रूपी तेल की जरूरत होती है, और जैसे मूर्ति बनाने के लिए सांचे की जरूरत होती है। इसी तरह किस्मत बनाने के लिए मेहनत की जरूरत होती है।

आगे कवि ने कहा है कि जैसे हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्मों, संप्रदायों और जातियों के लोग रहते हैं। वे सब मिलकर एक सुंदर और खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कवि कहता है कि विभिन्न प्रकार के फूलों से एक सुंदर माला बनाई जा सकती है। उसी तरह हम विभिन्न संप्रदायों के लोग मिलकर एक सुंदर और स्वतंत्र खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं।


प्रश्न – आह्वान कविता में कवि हमें देश के विकास के लिए प्रेरित कर रहा है। देश के विकास में आप स्वयं को किस भूमिका में पाते है। टिप्पणी लिखिए।

उत्तर – आह्वान कविता में कवि हमें देश के विकास के लिए प्रेरित कर रहा है। देश के विकास में हम स्वयं को कार्यर्शील भूमिका में पाते है। हमें लगातार अपने उद्देश्य की तरफ बढते रहना चाहिए। कभी भी हार कर या हाताश हो कर नहीं बैठ जाना चाहिए। किस्मत बनाने के लिए मेहनत की जरूरत होती है। मेहनत से कभी भी नहीं भागना चाहिए। इस तरह से ही हम युवा एक सुंदर और खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं।

NIOS SOLVED ASSIGNMENT 2020-21

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