विविध जनसंचार माध्यम का स्वरूप स्पष्ट कीजिए। BHDLA-137 NOTES
जनसंचार दो शब्दों जन व संचार से मिलकर बना है। जन जिसका अर्थ है जनता और संचार जिसका अर्थ है किसी बात को आगे बढ़ाना चलाना या फैलाना अर्थात जब हम किसी भाव विचार या जानकारी को दूसरों तक पहुंचाते हैं और यह प्रक्रिया सामूहिक पैमाने पर होती है। वही जनसंचार कहलाती है।
जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख अंग
जनसंचार प्रक्रिया के चार प्रमुख अंग है।
- श्रव्य या व्यक्ति जो संप्रेषण करता है उसे संचारक प्रेषक कहते हैं।
- जिसका संप्रेषण या विनिमय किया जाना है उसे संदेश या विचार कहते हैं।
- जिसके द्वारा संदेश या विचार का संप्रेषण किया जाना है। उसे माध्यम कहते हैं।
- व्यक्ति जो संदेश प्राप्त करता है, उसे प्राप्तकर्ता कहते हैं जैसे पाठक, श्रोता या दर्शक कोई भी हो सकता है।
सरल रूप में संचार प्रोक्रिया को इस तरह दर्शाया जा सकता है।
प्रेषक ➡ संदेश ➡ माध्यम➡ प्राप्तकर्ता
जनसंचार के माध्यम
जनसंचार माध्यम को प्रमुख तौर पर दो माध्यम में देखा जा सकता है।
- परंपरागत माध्यम
- आधुनिक माध्यम
परंपरागत माध्यम
उत्सव, लोकगीत, शिलालेख, वार्ता, कथा, मेले लोकनाट्य और नृत्य इन माध्यमों से संचार का संदेश दिया जाता था और यह संदेश पैदल या घोड़े की सवारी द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता था या फिर कबूतरों के जरिए भी यह संदेश पहुंचाया जाता था। फिर परिवर्तन होने लगा और फिर डाक विभाग का उपयोग किया जाने लगा।
आधुनिक माध्यम
आधुनिक माध्यम के भी तीन प्रकार है –
- मुद्रित माध्यम
- श्रव्य माध्यम
- दृश्य माध्यम
मुद्रित माध्यम
मुद्रित अथवा लिखित जनसंचार से तात्पर्य उस संदेश से है जो समूह के लिए छापा जाए या लिखा जाए। इसके अंतर्गत ऐसी लिखित सामग्री शामिल होती है जिनमें जानकारी हो या संदेश हो या किसी ऐसे सामाजिक विषय की चर्चा हो जिसमें समूह की दिलचस्पी हो। प्राचीन काल में चमड़े और शिलालेखों पर जनसंचार के प्रमाण मिलते हैं। लेकिन मुद्रण के अविष्कार के बाद लिखित अथवा मुद्रित जनसंचार में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित जनसंचार के माध्यम हैं।
- समाचार पत्र – समाचार पत्र सबसे सशक्त माध्यम कहा जाता है और इसे विश्वसनीय मित्र भी माना जाता है। इसके रूप है साहित्यिक धार्मिक राजनीतिक दार्शनिक, वैज्ञानिक इत्यादि। पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड 1826 ईसवी में कोलकाता से प्रकाशित हुआ था।
- पत्रिकाएँ – समाचार पत्रों का विस्तृत रूप है। इसकी सामग्री और पृष्ठ समाचार पत्रों से अधिक होते हैं। इसके विभिन्न वर्ग है। सप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक तथा वार्षिक। विभिन्न पत्रिकाएँ विभिन्न विषयों पर प्रकाशित होती है। जैसे बच्चों के लिए चंदा मामा, चंपक, सुपर हीरो, महिलाओं के लिए गृहशोभा विनीता, मेरी सहेली, साहित्य के क्षेत्र में हंश आलोचना या अन्य विषयों जैसे फिल्म, आर्थिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, साहित्य या कृषि से संबंधित विषय।
- विज्ञापन – विज्ञापन जनसंचार के क्षेत्र में इन माध्यमों ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। सामाजिक चेतना और व्यवसाय क्रांति के लिए अग्रसर रहे हैं। विज्ञापन आम आदमी के जीवन के साथ जुड़ गया है।
- टेम्पलेट हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। चौराहे और विशेष स्थानों पर लगे पोस्टर और होर्डिंग, जो बड़े बोर्ड भी कहलाते हैं, भी हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। कुल मिलाकर विज्ञापन एक दिलचस्प चित्र है और जनसंचार का महत्वपूर्ण माध्यम है।
श्रव्य माध्यम
अब हम दूसरे माध्यम की बात करते हैं तो वह है श्रव्य माध्यम जिसके द्वारा सिर्फ सुनकर संदेश को हम ग्रहण करते हैं। सिर्फ श्रव्य माध्यमों में रेडियो सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। इसका सबसे महत्वपूर्ण गुण सुनते हुए दूसरे काम भी किए जा सकते हैं। इसके द्वारा जन जन तक आसानी से मौसम संबंधी चेतावनी और प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी पहुँचाई जा सकती है। यह बहुत शक्तिशाली जनसंचार माध्यम है। दिन प्रतिदिन घटित घटनाओं की तुरंत जानकारी देता है। विभिन्न वर्गों के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित करता है। सूचना शिक्षा, मनोरंजन और विज्ञापन का व्यापक माध्यम है।
श्रव्य दृश्य माध्यम
श्रव्य दृश्य माध्यम जनसंख्या के इतिहास में एक नया मोड़ तब आया जब आवाज के साथ साथ बोलने वाले की तस्वीर भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने लगी है जैसे सिनेमा, टीवी आदि।
जनसंचार माध्यम में प्रयुक्त हिंदी
BHDLA-137 NOTES FOR EXAM