भाषण की शैलीगत विशेषताएँ बताइए। BHDLA-135 NOTES

भाषण एक मौखिक कला है। इसमें वक्ता अपने विचारों और भावनाओं को श्रोताओं तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने का प्रयास करता है। भाषण की सफलता में वक्ता की भाषा शैली का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भाषा शैली से तात्पर्य उस ढंग से है जिसमें वक्ता अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करता है।

भाषण की शैलीगत विशेषताओं को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • शब्दावली

शब्दावली भाषण की सबसे महत्वपूर्ण शैलीगत विशेषता है। वक्ता को अपने भाषण में स्पष्ट, सरल और सटीक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। जटिल, अस्पष्ट और अप्रचलित शब्दों का प्रयोग से बचना चाहिए।

  • वाक्य-रचना

वाक्य-रचना भाषण की दूसरी महत्वपूर्ण शैलीगत विशेषता है। वक्ता को अपने भाषण में सुगम, प्रवाहपूर्ण और प्रभावी वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। जटिल और अस्पष्ट वाक्यों का प्रयोग से बचना चाहिए।

  • अर्थालंकार

अर्थालंकार भाषण को अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। वक्ता को अपनेभाषण में उचित स्थान पर अर्थालंकारों का प्रयोग करना चाहिए। अर्थालंकारों का प्रयोग अनावश्यक रूप से नहीं करना चाहिए।

  • भावाभिव्यक्ति

भावाभिव्यक्तिभाषण की एक और महत्वपूर्ण शैलीगत विशेषता है। वक्ता को अपने भाषण में अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए। भावाभिव्यक्ति के लिए वक्ता को अपने चेहरे के भावों, हाव-भावों और स्वर में उतार-चढ़ाव का प्रयोग करना चाहिए।

  • सौंदर्यीकरण

सौंदर्यीकरणभाषण को अधिक आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। वक्ता को अपनेभाषण में उचित स्थान पर तुकबंदी, अलंकार आदि का प्रयोग करना चाहिए। सौंदर्यीकरण के लिए वक्ता को अनावश्यक रूप से शब्दों को सजाने-संवारने से बचना चाहिए।

भाषण की शैलीगत विशेषताओं का महत्व

भाषणकी शैलीगत विशेषताओं का महत्व निम्नलिखित है:

  • शब्दावलीभाषण को अधिक स्पष्ट, सरल और सटीक बनाने में मदद करती है।
  • वाक्य-रचनाभाषण को अधिक सुगम, प्रवाहपूर्ण और प्रभावी बनाने में मदद करती है।
  • अर्थालंकारभाषण को अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाने में मदद करते हैं।
  • भावाभिव्यक्ति भाषणको अधिक संप्रेषणीय और प्रभावशाली बनाने में मदद करती है।
  • सौंदर्यीकरण भाषणको अधिक आकर्षक और रोचक बनाने में मदद करता है।

भाषण की शैलीगत विशेषताओं का विकास

भाषणकी शैलीगत विशेषताओं का विकास निम्नलिखित उपायों से किया जा सकता है:

  • साहित्यिक कृतियों का अध्ययन
  • अच्छे वक्ताओं के भाषण का अवलोकन
  • व्याकरण और वाक्य-रचना के नियमों का अध्ययन
  • अर्थालंकारों और अलंकारों का अध्ययन
  • प्रैक्टिस

भाषणकी शैलीगत विशेषताओं का विकास करने से वक्ता अपने भाषणको अधिक प्रभावी और आकर्षक बना सकता है।

वर्तनी के नियमों को विस्तार से लिखिए। BHDLA-136 NOTES

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