पाठ 7 – आजादी
कविता में आजादी की सच्चाई को समझाने के लिए कवि ने शागिर्द के विचार और उसके जिज्ञासुता को महत्वपूर्ण भूमिका दी है। शागिर्द का सवाल, “क्या आजादी सिर्फ सैर-सपाटा और घूमना-फिरना है?” ने आजादी के संदर्भ में एक नए दृष्टिकोण को उजागर किया है।
कविता में उत्तरदाता दर्जी के माध्यम से कवि ने बताया है कि आजादी अपनी मुक्ति को पहचानने में ही नहीं, बल्कि कर्मठता, उत्साह, और सही दिशा में प्रयास करने में भी है। यह एक ऐसा संदेश है जो हमें यह बताता है कि कर्म ही उस स्थिति और स्वतंत्रता का कारण बनता है जिसे हम आजादी कहते हैं।
दर्जी का उत्तर ने हमें यह सिखाया है कि आजादी उस समय हासिल होती है जब हम अपने कर्मों में समर्पित रहते हैं और जीवन के महत्वपूर्ण साधनों को सही दिशा में उपयोग करते हैं। कविता ने साबित किया है कि आजादी का सबसे सटीक और सार्थक अर्थ यही है कि हम अपने कर्मों के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता को पहचानें और बनाएं।