राजभाषा हिंदी का स्वरूप
आइये जानते है कि राजभाषा हिंदी का स्वरूप क्या है –
राजभाषा
- राज भाषा, किसी देश की राजकीय भाषा होती है। राजभाषा से तात्पर्य है कि राजा की भाषा। मुगल काल में इसे दरबारी भाषा भी कहते थे। राष्ट्रभाषा किसी देश की जनता के द्वारा जो अधिकांश जनता बोली थी और उसको समझती है, उसमें राष्ट्रभाषा है। अब इसको एक उदाहरण के रूप में देखिए जैसे हिंदी है। हिंदी मुगल काल में भी राष्ट्रभाषा थी। सल्तनत काल में भी हिंदी राष्ट्रभाषा थी। अंग्रेजों के जमाने में भी हिंदी राष्ट्रभाषा थी और आज भी हिंदी राष्ट्रभाषा है।
- हालांकि उसका स्वरूप बदलता रहा है। इस कारण हिंदी आज भी बदल रही है। बदलते रहना भाषा का स्वभाव ही होता है। मुगल काल में फारसी दरबारी भाषा या राज भाषा फारसी थी, लेकिन देश की अधिकांश जनता हिंदी बोलती और समझती थी इसलिए उस समय भी हिंदी राष्ट्रभाषा थी। अंग्रेजों के जमाने में अंग्रेजों ने अपना शासकीय राजकाज काम अंग्रेजी में किया। लेकिन हिंदी तभी देश के अधिकांश जनता बोलती थी इसलिए उस समय भी हिंदी राष्ट्रभाषा थी। संक्षेपत: में राज भाषा वह भाषा होती है जो शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त की जाती है।
- हिंदी राजभाषा तब बनी है जब इसके पीछे हमारे देश के बहुत विद्वान जो हिंदी भाषी नहीं थे, उन्होंने पुरजोर समर्थन किया। उनके ज्यादातर समर्थन के कारण हिंदी राजभाषा बन पाई। इसके लिए तो सबसे पहले स्वामी दयानंद सरस्वतीऔर महात्मा गांधी का नाम आता है।
- राजभाषा का सामान्य अर्थ है राजकाज की भाषा। राजभाषा वह होती है जिसमें किसी देश की केंद्रीय प्रादेशिक सरकारें अपना आपसी पत्र व्यवहार करती है। राज्य कार्य करती है फिर अन्य सरकारी काम के लिए उसका प्रयोग करती हैं। इस दृष्टिकोण से हम देखे तो भारतीय संविधान में या भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में 22 भाषाओं को राजभाषा की स्वीकृति दी गई है। इन को राजभाषा के अंतर्गत रखा गया है।
राजभाषा हिंदी के स्वरूप
- स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश शासन में सरकारी जितने भी क्रियाकलाप या कामकाज होते थे, वह अंग्रेजी में होता थे। 1947 में जब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमने महसूस किया कि स्वतंत्र भारत की एक राजभाषा होनी चाहिए। राजभाषा जिसमें प्रशासनिक तौर पर पूरा देश जुड़ा रह सके और भारतवर्ष के विचारों की अभिव्यक्ति करने वाली जो संपर्क भाषा हिंदी उसे ही राजभाषा के रूप में देखा जाने लगा।
- स्वतंत्र भारत के संविधान में 14 सितंबर 1949 को राजभाषा समिति ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान सभा के अंतर्गत हिंदी को राजभाषा घोषित करने का प्रस्ताव दक्षिण भारतीय नेता गोपाल स्वामी आयंगर ने दिया था।
- हमारे देश के उस समय के बुद्धिजीवी वर्ग ने हिंदी को देश की संस्कृति सभ्यता एकता और जनता की समसामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली भाषा के रूप में देखा। यही देखते हुए उन्होंने संविधान में 26 जनवरी 1950 को हिंदी को संवैधानिक मान्यता प्रदान की। संविधान में राजभाषा के रूप में हिंदी का जो स्वरूप स्वीकार किया गया। वह वस्तुतः खड़ी बोली का परिणित रूप है।
- जहाँ तक भाषा के स्वरूप का प्रश्न है। वह किस प्रकार का है। इस संबंध में संविधान में स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि जब राजभाषा हिंदी है तो इसकी शब्दावली मूलतः संस्कृत से ली जाएगी और गुणत: इसमें भारतीय भाषाओं सहित अन्य भाषाएं हैं जो अन्य विदेशी भाषाएं हैं। उनके प्रचलित शब्दों को भी अंगीकार किया जा सकेगा।
- कुल मिलाकर जो हमारी राजभाषा हिंदी खड़ी बोली का परिनिष्ठित रूप है और उसके अंतर्गत संस्कृत के शब्द मुलत: उसके अंतर्गत है। साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं के शब्दों को इसके अंतर्गत स्थान दिया गया।
- उसके बावजूद राजभाषा की शब्दावली है जैसे अधिसूचना, निर्देश, अधिनियम, आकस्मिक अवकाश अनुदान आदि शब्दावली देख कर सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि इसकी एक अलग ही प्रयुक्ति है। प्रयुक्ति का अर्थ प्रयोग करने की स्थिति थोडी अलग है। क्योंकि इसमें बहुत सारी पारिभाषिक शब्दावली राजभाषा के अंतर्गत हैं।
- इसके अलावा शब्द निर्माण के संबंध में राजभाषा के नियम बहुत ही लचीले है। यहां तक की राजभाषा के अंतर्गत किसी भी दो या दो से अधिक भाषाओं के शब्दों को संधि करके आराम से प्रयोग किया जा सकता है और किया जा रहा।
- जैसे रेलगाड़ी। रेलगाड़ी शब्द में रेल शब्द अंग्रेजी का है और गाड़ी शब्द हिंदी का है।
जांचकर्ता – इसमें जांच फारसी शब्द है और कर्ता हिंदी शब्द है। ऐसे बहुत सारे शब्द हैं जो कि राजभाषा के अंतर्गत प्रयोग किए जाते हैं। - स्पष्ट है कि राजभाषा है, इसका संबंध जो है वह प्रशासनिक कार्य प्रणाली के संचालित होने या उसके संचालन के कारण इसका संपर्क बुद्धिजीवियों, प्रशासक को सरकारी कर्मचारियों आदि से होता है। ऐसा होने के कारण प्राय देखा जाता है कि यह भाषा जो है वह शिक्षित समाज के अधिक नजदीक होती है।
- इसी कारण यह जनमानस की भावनाओं एवं चिंतनों से सीधे-सीधे जुड़ी हुई न होकर के अनौपचारिक रूप से उनसे जुड़ी होती है। एक अनौपचारिक माध्यम से यह प्रशासन और प्रशासित जनता के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है।
- यह एक महत्वपूर्ण सेतु का काम करती है। क्योंकि प्रशासन जितनी भी नीतियां हैं, उनको जनता तक पहुंचाने का राजभाषा ही एक माध्यम होती है जो कि प्रशासन की कार्यप्रणाली को उसकी नीतियों को आम जनता तक पहुंचाती है।
- इस तरह यह माना गया कि जो किसी देश की राजभाषा होनी चाहिए, वह भाषा ऐसी होनी चाहिए जिसको जनता आसानी से समझ सके। ऐसी भाषा को राजभाषा बनाया जाना चाहिए जो कि आम जनता जिसे भलीभांति परिचित हो।
- हमारे देश में 22 भाषाओं को राजभाषा के अंतर्गत रखा गयाऔर अधिकांश क्षेत्रों में यानी कि हिंदी भाषी क्षेत्र भारत में अन्य भाषाओं से अधिक है तो इसलिए अधिकांश क्षेत्र में एक बड़े भूभाग में हिंदी राजकीय भाषा बनी हुई है।
- इसके अलावा अंग्रेजी राजभाषा के रूप में कार्य में लाई जाती है और हमारी 22 भाषाएं हैं। वह भाषाएं भी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रों में जहां उनकी बहूलता होती है, वहां इन भाषा को राजभाषा के रूप में प्रयोग में लाई जाती है।
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