सुखी राजकुमार का सारांश
सुखी राजकुमार एक प्रतिमा ,जो सोने हीरे जवाहरात से जड़ी हुई है, शहर के बीचोंबीच लगी हुई है। यह प्रतिमा बहुत ही सुंदर है। एक दिन एक गौरैया (गौरैया चिड़िया को कहते हैं) शहर में आती है और उस प्रतिमा के नीचे ठहरने का निश्चय करती है। उसके ऊपर एक बूंद आकर गिरती है तब उसे पता चलता है कि सुखी राजकुमार जिसकी वह प्रतिमा है वह रो रहा है।
राजकुमार उसे बताता है जब वह जीवित था तब बहुत अय्याशी के साथ आलीशान तरीके से उसने जीवन जिया। दुखों से वह हमेशा अपरिचित रहा। उसने दुखों को कभी अपने जीवन में नहीं देखा। लेकिन जब शहर के बीच उसकी प्रतिमा ऊंचाई पर बनाई गई है। उसे अब सबके दुख दिखाई दे रहे है।
राजकुमार शहर के बीचोबीच ऊंचाई पर स्थापित होने के कारण अपने शहर में बसे लोगों के दुख देख सकता है। उनके दुख से वह दुखी था। इस क्रम में वह एक सबसे पहले वह गोरिया से एक आग्रह करते हैं कि एक मेहनती स्त्री है। उसका बच्चा बीमार है और आप मेरी एक तलवार में जो हीरे जड़े हैं उसको जाकर उस महिला को दे दो।
गोरिया नील देश जाना है। विश्राम करने के लिए यहाँ रुकी थी। पर राजकुमार की बात सुनकर वह उसकी बात मान लेती है। वह जाकर उसको हीरे दे आती है।
वहाँ वह बच्चे के प्रति उत्पन्न सहानुभूति के वश में वह उस पर अपने पंखों से हवा भी करती है। रात को जब वह राजकुमार से विदा मांगती है कि ठीक है अब मैं आपका काम कर आ ही हूँ। मैं वापस जा रही हूं।
तब राजकुमार उसे एक गरीब लेखक की मदद करने के लिए अपनी आंख का नीलम जाने के लिए कहता है। राजकुमार की आंख में नीलम लगा हुआ है। कहता है तुम मेरे नीलम ले जाकर उस लेखक को दे दो। राजकुमार के त्याग को देखकर जो चिड़िया वह भी थोड़ा भावुक हो जाती है।
उसे भी एहसास होता है कि राजकुमार अच्छा है। अगली बार जब वह नील देश की सुंदरता का बयान करते हुए राजकुमार से विदा मांगती है तो राजकुमार उसे फिर एक गरीब लड़की के पास भेज देता है और कहता है दूसरी आंख का नीलम उस दे दें।
राजकुमार अपने शरीर पर जितने भी हीरे जवाहरात उन सब को गरीबों को देना चाहता है। उनकी मदद करना चाहता है। अब राजकुमार अंधा है। अतः गोरैया शहर भर की खबरें उसे सुनाती है विशेषत: गरीब दुखी परेशान लोगों की खबरें।
राजकुमार के कहने पर वह प्रतिमा के स्वर्ण पत्र निर्धन लोगों को बांटती रहती है जो सोने चांदी उस पर लगे थे। प्रतिमा अब बिल्कुल मनहूस दिखने लगी है क्योंकि सोने चांदी उस पर सब हट गए हैं। पर शहर के बच्चों के चेहरों पर गुलाबी अब आने लगी है। अब बच्चे खुश हैं क्योंकि उनको पैसे मिलने लगे हैं। उनके पास अब पैसा आ गया। जो राजकुमार ने उन्हें दिए।
बढ़ती ठंड में गोरिया वही प्रतिमा के पैरों पर अपने प्राण त्याग देती है। ठंड के कारण वहीं पर मर जाती है। अगले दिन में मेयर अपने सभासदों के साथ घूमते हुए इस प्रतिमा को हटाने और अपनी प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव करता है। प्रतिमा और गुड़िया की लाश को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है।
ईश्वर के आदेश पर देवदूत उन्हें ले जाते हैं और उन्हें स्वर्ग में हमेशा के लिए स्थान दे दिया जाता है। इस तरह इस कहानी में संदेश दिया गया कि हमेशा लोगों की भलाई करनी चाहिए। जिस तरह सुखी राजकुमार जो अपने जीवन में तो सुखी नहीं था। उसे लगता था। वह सुखी है लेकिन जब लोगों का दुख दर्द उसने दूर किया तो वास्तव में सुखी हुआ और अंत में वह स्वर्ग में गया और इसी तरह गुरैया जिसने उसकी मदद की वह भी स्वर्ग में गई।
प्रश्न – हम जैसी संगति रखते है वैसे ही बन जाते है। सुखी राजकुमार कहानी के आधार पर इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर – “हम जैसी संगति रखते है वैसे ही बन जाते है” यह कथन गौरिया पर बिलकुल सटीक बैठता है। राजकुमार शहर में बसे लोगों के दुख देख कर दुखी था। वह गोरिया से एक आग्रह करते हैं कि एक मेहनती स्त्री है। उसका बच्चा बीमार है और मेरी तलवार में हीरा जड़ा हैं उसको जाकर उस महिला को दे दो। राजकुमार की बात सुनकर वह उसकी बात मान लेती है। वैसे गोरिया को बच्चे पसंद नही होते है क्योंकि पिछले साल कुछ बच्चों ने उसके ऊपर ढेले मारे थे।
पर जब गोरिया वहाँ वह बच्चे के प्रति उत्पन्न सहानुभूति के वश में वह उस पर अपने पंखों से हवा भी करती है। रात को जब वह वापस नील देश जाना चाहती है। तब राजकुमार उसे एक गरीब लेखक की मदद करने के लिए अपनी आंख का नीलम जाने के लिए कहता है। राजकुमार के त्याग को देखकर जो चिड़िया वह भी थोड़ा भावुक हो जाती है। राजकुमार उसे फिर एक गरीब लड़की के पास भेज देता है और कहता है दूसरी आंख का नीलम उसे दे दें। राजकुमार अपने शरीर पर जितने भी हीरे जवाहरात उन सब को गरीबों को देना चाहता है। उनकी मदद करना चाहता है।
अब राजकुमार अंधा है। अतः गोरैया शहर भर की खबरें उसे सुनाती है विशेषत: गरीब दुखी परेशान लोगों की खबरें। और नील देश जाने का विचार त्याग देती है। राजकुमार के कहने पर वह प्रतिमा के स्वर्ण पत्र निर्धन लोगों को बांटती रहती है जो सोने चांदी उस पर लगे थे। प्रतिमा अब बिल्कुल मनहूस दिखने लगी है क्योंकि सोने चांदी उस पर सब हट गए हैं। पर शहर के बच्चों के चेहरों पर गुलाबी अब आने लगी है। बढ़ती ठंड में गोरिया वही प्रतिमा के पैरों पर अपने प्राण त्याग देती है।