IGNOU BHDAE 182 SOLVED ASSIGNMENT 2022-23

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BHDAE-182
  
Assignments FOR July 2022-January 2023

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Assignment 2022-23 (Last date 30 April 2023)

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Assignment 2022-23 (last  date 30 October 2023)


 

BHDAE-182 NOTES

भाषा के विभिन्न रूपों के अंतर्गत बोली, राष्ट्रभाषा, राजभाषा और मानकभाषा आती है।
  • बोली - किसी भी भाषा को क्षेत्रीय रूप में बोला जाता है तो वह बोली कहलाती है। बोली भाषा का ही एक रूप है।भाषा के सबसे छोटे व सीमित रूप को बोली कहा जाता है।हर जगह लोग अपनी-अपनी बोली बोलते हैं। बोली सब जगह अलग-अलगहोती है। बोली से हम अपने विचारों और शब्दों को एक दूसरेके साथ व्यक्त कर सकते हैं।
  • राष्ट्रभाषा - जब कोई भाषा किसीराष्ट्र के अधिकांश प्रदेशों के बहुमत द्वारा बोली व समझी जाती हैतो वह राष्ट्रभाषा बन जाती है। दूसरे शब्दों में वहभाषा जो देश के अधिकतर निवासियों द्वारा प्रयोग में लाई जातीहै। राष्ट्रभाषा कहलाती है। सभी देशों की अपनी अपनी राष्ट्रभाषा होतीहै। जैसे अमेरिका की अंग्रेजी, चीन की चीनी, जापान की जापानी, रूसकी रूसी आदि। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। यह लगभग 7075% लोगों के द्वारा प्रयोग में लाई जाती है।
  • राज भाषा - वहभाषा जो देश के कार्यालयों व राजकार्य में प्रयोग की जातीहै। राज भाषा कहलाती है जैसे भारत की राजभाषा हिंदी है।संविधान सभा ने लंबी चर्चा के बाद 14 सितंबर सन 1949को हिंदी को भारत की राजभाषा स्वीकार किया गाया है। इसके बादसंविधान में अनुच्छेद 340 से 351 तक राजभाषा के संबंध मेंजो व्यवस्था की गई। इस की स्मृति को ताजा रखने केलिए 14 सितंबर का दिन प्रतिवर्ष हम हिंदी दिवस केरूप में मनाते हैं। अमेरिका की राजभाषा अंग्रेजी है
  • मानक भाषा - विद्वानों व शिक्षाविदों द्वारा भाषा में एकरूपता लाने के लिए भाषाके जिस रूप को मान्यता दी जाती है वह मानक भाषाकहलाती है। भाषा में एक ही वर्ण या शब्द के एकसे अधिक रूप प्रचलित हो सकते हैं। ऐसे में उनके किसीएक रूप को विद्वानों द्वारा मान्यता दे दी जाती है। जैसे गयी-गई, ठण्ड -ठंड, अन्त-अंत
  • भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्णकहते हैं। इन वर्गों के सहयोग से शब्दों का निर्माण होता है।कहने का अर्थ यह है कि एक शब्द का निर्माण कई वर्णोंके मिलने से होता है। उच्चारण की दृष्टि से हिंदी वर्णमाला कोदो वर्गों में बांटा गया है। पहला स्वर वर्ण और दूसरा व्यंजनवर्ण।
स्वर की परिभाषा क्या है?
  • स्वर की परिभाषा जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध या रुकावट के तथा बिना किसी दूसरे वर्ग की सहायता सेहोता है, उन्हें स्वर्ग होते हैं। अर्थात् स्वर पूर्ण रुप से स्वतंत्र होताहै। उच्चारण की दृष्टि से स्वर पूर्ण रुप से स्वतंत्र होता है।इसे किसी अन्य वर्ण की सहायता लेने नहीं पड़ती है। हिंदी में स्वर इस प्रकार हैं। अ आ इ, ई, उ, ऊ,(ऋ) ए, ऐ, ओ, औ। ऋ का प्रयोग केवल तत्सम संस्कृत शब्दों में होता है। जैसे ऋण, ऋषि ऋतुइत्यादि। देवनागरी वर्णमाला में अं अँ को स्वरों के साथ लिखा जाता है। यहआप देखते होंगे पर वास्तव में अं अनुस्वार है और अ: (:) विसर्ग है। स्वर्गके बाद ही इनका प्रयोग होता है जैसे अंक, इंगित अत: प्रात: प्राय: आदि।
स्वर के कितनेभेद होते हैं, प्रकार होते हैं।
  • स्वर के दो प्रकार होते हैं।पहला ह्रस्व स्वर (अ, इ, उ, ऋ) और दूसरा दीर्घ स्वर (ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ)। उच्चारण की दृष्टि से ह्रस्व और दीर्घ का अंतर महत्वपूर्ण है। ह्रस्व के स्थानपर दीर्घ और ह्रस्व के स्थान पर दीर्घ का उच्चारण करने तथा लिखनेसे अर्थ में भेद हो जाता है।
  • कारक का अर्थ क्रिया करने वाला।
  • कारक संज्ञाव सर्वनाम को क्रिया के साथ जोड़ते है। संज्ञा या सर्वनाम के जिसरुप से उसका संबंध क्रिया के साथ जाना जाता है, उसे कारक कहते हैं।
  • कारक के 8 भेद होते हैं।
  • कारक का ज्ञान करवाने के लिए कुछ चिन्ह होते हैं जो विभक्ति चिन्ह या परसर्ग कहलाते हैं।
    • कर्ता कारक - ने
    • कर्मकारक - को
    • करण कारक - से के साथ के द्वारा
    • संप्रदान कारक - के लिए को (किसी कोकुछ देने के भाव में)
    • अपादान कारक - से (अलग होना)
    • संबंधकारक - का के
    • अधिकार - में पर
    • संबोधन कारक - है। अरे
  • वर्णों के सार्थक मेल शब्द बनता है। जैसे मोहन, सीख, है, चलना, रहा
  • इन्हीं शब्दों का प्रयोग जब व्याकरण के नियमों के अनुसार किया जाता है तब वाक्य बनाने के लिए प्रयोग किए गए शब्द ही पद कहलाने लग जाते हैं।
  • जैसे मोहन चलना सीख रहा है।यानी यह  सारे शब्द हैं। यहां इस वक्त में पद बन जाएंगे। मोहन, सीख, है चलनारहा अलग अलग दिख रहे हैं लेकिन इनसे कोई एक पूरा अर्थ ।शब्दों का प्रयोग करके जब हमने एक वाक्य बना दिया तो उसकाअर्थ बन रहा है। मोहन चलना सीख रहा है।
मौखिक भाषा, भाषा का अस्थाई रूप है। लिखित , भाषा का स्थाई रूप है।मौखिक भाषा उपचारित होते ही समाप्त हो जाता है और लिखित भाषा दीर्घ काल बना रह सकता है कि मौखिक भाषा व्यक्ति बिना प्रयासके स्वंय ही सीख लेता है जैसे दूसरों को देख देखकर बच्चे बोलना अपने आप सीख लेते हैं। लिखित भाषा प्रयास व अभ्यास से ही सिखा जाताहै। मौखिक भाषा, भाषा का प्रधान रू है। लिखित भाषा भाषा का गौण रूप है। मौखिक भाषा की आधारभूत इकाई ध्वनि है लिखित भाषा की आधारभूत इकाई वर्ण है।
लेखन कौशल
  • मौखिक रूप के अंतर्गत भाषा काध्वन्यात्मक रूप एवं भावों की मौखिक अभिव्यक्ति आती है। जब इनध्वनियों को प्रतीकों के रूप में व्यक्त किया जाता हैऔर इन्हें लिपिबद्ध करके स्थायित्व प्रदान करते हैं तो वह भाषाका लिखित रूप कहलाताहै। भाषा के इस प्रतीक रूप कीशिक्षा प्रतीकों को पहचान कर उन्हें बनाने की क्रिया अथवा ध्वनिको लिपिबद्ध करना , लिखना और इसमें दक्षता प्राप्त करना ही लेखनकौशल है। साधारण शब्दों में जिसको हम लिख कर अपनेभावनों को व्यक्त करते हैं, उसको लेखन कौशलकहा जाता है।
लेखनशिक्षण के क्या उद्देश्य है -
  • लेखन शिक्षण के प्रमुख उद्देश्यनिम्नलिखित है। छात्र सोचने एवं निरीक्षण करने के उपरांत भावों कोक्रमबद्ध रूप में लिखकर व्यक्त कर सकेंगे। छात्र सुपाठ्य लेख लिखसकेंगे। शब्दों को शुद्ध रूपसे लिख सकेंगे। छात्र ध्वनि, ध्वनि समूहो, शब्द सूक्ति मुहावरोंका ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। विराम चिन्हों का यथोचित प्रयोग कर सकेंगे।अनुलेख सुलेख तथा श्रुतलेख लिख सकेंगे। व्याकरण सम्मत भाषा का प्रयोगकरने में सक्षम होंगे। वह वाक्य में शब्दों, वाक्यांशोंतथा उप वासियों का क्रम अर्थ अनुकूल रख सकेंगे। विभिन्नरचना वाले वक्यों का शुद्ध गठन करेंगे। विद्यार्थी लिखित अभिव्यक्ति केविभिन्न रूपों की तकनीक का विधिवत् पालन करने में समर्थ होंगेवह लिखित अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों के माध्यम से अभिव्यक्ति करपाने में सक्षम होंगे।
लेखन शिक्षण के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं।
  • लेखन सुंदरस्वच्छ एवं सुंदर हो। उसमें प्रभावशीलता एवं क्रम बद्ध हो।विशेष शिक्षण सामग्री उपयुक्त अनुच्छेदों में विभाजित हो। भाषा एवंशैली में प्रभाव उत्पादकता हो। भाषा व्याकरणसमस्त हो। अभिव्यक्ति संक्षिप्त स्पष्ट तथा प्रभावउत्पादक हो।

1     हिंदी भाषा के विकास का वर्णन कीजिए।

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