झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छवै । हँसि बोलन मैं छबि फूलन की बरषा, उर ऊपर जाति है। लट लोल कपोल कलोल करै, कल-कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै ति की, परिह मनौ रूप अबै धर च्वै।।
सैवाया हिंदी का एक वर्णिक छंद है जिसमें चार पंक्तियां होती है एक वर्णिक छंद है। झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छवै । हँसि बोलन मैं छबि फूलन की...