अप्रकियात्मक अभिवृत्तियां

अप्रकियात्मक अभिवृत्तियां नकारात्मक विचार प्रक्रिया और विश्वास होते हैं जो भावनात्मक कष्ट, क्षमता कमी और विभिन्न जीवन के क्षेत्रों में नकारात्मक परिणामों की ओर ले जा सकते हैं। ये धारणाएं अक्सर तर्कहीन, अवास्तविक और आत्मविनाशी होती हैं। यहां कुछ मुख्य अप्रकियात्मक अभिवृत्तियां की विशेषताएं हैं:

  1. सब-या-कुछ विचार: यह मानसिक विकृति में सम्मिलित है जिसमें व्यक्ति चीजों को एकाधिक दृष्टिकोन से देखता है, जहां स्थितियां या तो पूरी तरह से अच्छी या पूरी तरह से बुरी मानी जाती हैं, कोई बीच का मार्ग नहीं। इस प्रकार की सोचने से जीवन के अनुभवों में विसंगति देखने की क्षमता खो जाती है।
  2. विसंगति पर आम तौर से अनुमान लगाना: अप्रकियात्मक अभिवृत्तिओं वाले व्यक्ति अलगाव के आधार पर व्यापक निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति रखते हैं। उदाहरण के लिए, अगर उन्हें किसी कार्य में असफलता होती है, तो वे यह मान सकते हैं कि वे सभी पहलुओं में विफल हैं। इससे नकारात्मक स्वयंसिद्धि-पूर्वक पूर्वानुमान तैयार हो जाते हैं।
  3. भयंकरता को अतिशयोक्ति करना: अप्रकियात्मक अभिवृत्तियां वामनीकरण या उत्तेजित अवस्थाएं बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं। वे छोटी सी समस्याओं को अत्यंत महत्वपूर्ण बना देते हैं और उनसे घिरे हो जाते हैं।
  4. निजीकरण: इसमें अपने नियंत्रण से बाहर होने वाले घटनाओं के लिए व्यक्ति व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हैं या बाह्य घटनाओं को अपने ऊपर ले लेते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने किसी के साथ योजना रद्द कर दी, तो व्यक्ति अप्रकियात्मक अभिवृत्तियां रख सकता है कि यह उनकी अप्रियता या अनर्हता के कारण हुआ है।
  5. सकारात्मक को अनदेखा करना: व्यक्ति सकारात्मक अनुभव, उपलब्धियां या सराहना को तुच्छ बना देते हैं, यह मानते हुए कि वे महत्वपूर्ण या अर्थपूर्ण नहीं हैं। इससे उनकी आत्मसम्मान में कमी होती है और उनके जीवन के प्रति लगातार नकारात्मक दृष्टिकोन बना रहता है।
  6. भावनात्मक तर्क: अप्रकियात्मक अभिवृत्तियां वाले व्यक्ति अक्सर यह मानते हैं कि उनकी भावनाएं किसी विषय की वास्तविकता का प्रतिबिम्ब करती हैं। उदाहरण के लिए, अगर उन्हें प्रस्तुति देने में चिंता होती है, तो उन्हें इस धारणा में चलने का अनुमान हो सकता है कि वे खराब प्रदर्शन करेंगे, भले ही इस धारणा के पीछे कोई समर्थन का कोई सबूत न हो।

इन अप्रकियात्मक अभिवृत्तिओं की पहचान सामंजस्यवादी व्यवहारचिकित्सा (सीबीटी) और अन्य चिकित्सा दृष्टिकोनों में महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इनका सामना करके और सुधार करके अप्रकियात्मक अभिवृत्तियांओं को सुधारना व्यक्ति के भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है और स्वस्थ व्यवहारों को विकसित कर सकता है। इन नकारात्मक विचार प्रकारों को संतुलित और यथार्थवादी विचारों से प्रतिस्थापित करके, व्यक्ति जीवन में एक सकारात्मक और अनुकूल दृष्टिकोन विकसित कर सकता है।

You may also like...

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!