जानिये ‘’FIR’’ से जुड़े आपने कानुनी अधिकार-

 

  • ‘’FIR’’ क्या मतलब होता है-

 ‘’FIR’’ का मतलब होता है प्राथमिका सुचना रपट। अगर आप के साथ कोई अपराध हूआ है या आप किसी अपराध की सुचना पुलिस थाने में दर्ज करते है तो उसे ‘’FIR’’ कहते है। ‘’FIR’’ आप लिखित व मौखिक दोनों रुपों में दर्ज करा सकते है।

  • कौन कौन ‘’FIR’’ दर्ज करा सकता है-

भारत का कोई भी भारतीय नागरिक व पीडित व्यक्ति, पीडित व्यक्ति से संबंधित रिश्तेदार या पडोसी या दोस्त, घटना का साक्षी ‘’FIR’’ दर्ज करा सकता है। आपका स्थानीय थाना आपको ‘’FIR’’ दर्ज करने से मना नही कर सकता है।

  • ‘’FIR’’ किस कानुनी धारा के तहत दर्ज कराई जाती है-

भारतीय दंड प्रकिया संहिता 1973 की धारा 154 को तहत दर्ज कराई जाती है। ये आप का कानुनी अधिकार है।

  • क्या करे जब आपका स्थानीय पुलिस थाना कर दे ‘’FIR’’ दर्ज करने से इंकार-

अगर आप के साथ ऐसी कोई परिस्थिति आती है कि आपका स्थानीय थाना आपके द्वारा ‘’FIR’’ दर्ज करने से इंकार कर देता है तो आप न्यायालय का दरवाजा खट खटा सकते है।

  • ‘’FIR’’ दर्ज करने में जब आये ऐसी समस्या तो क्या करें है-

जब आपके साथ कोई अपराधिक घटना बाहरीय क्षेत्र में होती है तब वहां का स्थानीय क्षेत्र थाना अगर आप से यह कह कर पल्ला झाडने लगे कि आप का स्थानीय क्षेत्र यहां नही लगता है तो आप उस टाइम उनसे ‘’ZERO FIR’’ लिखने को कहे क्योकि ‘’ZERO FIR’’ कोई भी पुलिसथाना लिखने को मना नही सकता है।

  • ‘’ZERO FIR’’ से होता क्या है-

भारतीय संविधान में ‘’ZERO FIR’’ का प्रावधान आप के अधिकारो को सुरक्षित रखने के लिए किया गया। जब आप किसी भी थाने में पर ‘’ZERO FIR’’ दर्ज करते है तो बाद में वह थाना उसे केस को उपरोक्त थाने में ट्रान्सफर कर देता है जिससे उस केस में की जाने वाली कार्यवाही में देरी नही होती है।

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