सामंतवाद (फ्यूडलिज्म ) क्या है। IGNOU MA HISTORY NOTES IN HINDI
7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच सामंतवाद बहुत तेजी से विकसित हुआ। सामंतवाद जाने से पहले हम को जानना होगा कि जागीरदार (सामंत) क्या होते हैं। पहले के समय में, होता यह था कि शासन करने के लिए राजा के पास बहुत बड़ा क्षेत्र होता था।और जिस कारण वह शासन नहीं कर पाता। इसलिए क्षेत्र को, अपनी जमीन को, वह कुछ लोगों को दे देता है। उनको जागीरदार कहते हैं।
जागीरदार (सामंत) के नियुक्ति की वजह से क्या हुआ?
जागीरदार के नियुक्ति की वजह से राजा सिर्फ एक नाममात्र का मुखिया रह गया था। नाममात्र का मुखिया मतलब बस नाम भर का मुखिया रह गया था। वह उसके पास कुछ खास शाक्ति नहीं होती थी क्योंकि जो जागीरदार होते थे, उन्हीं के अंतर्गत जितने भी मजदूर वर्ग आते थे, वह कार्य करते थे और बदले में जागीरदार राजा को कर देते थे। जो बड़े जागीरदार होते थे। उन्हें महासमंतस कहा जाता था और
सामंतवाद का अनुक्रम कुछ इस तरीके की थी। ऐसे सबसे बड़ा राजा। राजा के नीचे महासमंतस काम करते थे। उसके नीचे काम सामंतस करते थे। उनके नीचे उपसामंतस, सबसे नीचे मजदूर वर्ग जो जमीनो पर कार्य किया करते थे।
- राजा
- महासामंतस
- सामंतस
- उपसामंतस
- कृषक मजदूर
जागीरदार करते क्या थे
जैसा मैंने बताया था। जागीरदार कर देते थे। राजा को उस जमीन के बदले में कर देते थे। वह मुद्रा के रुप में हो सकता था। कृषि उत्पाद या किसी और चीज के रुप में कर, राजा को दे सकते थे। जागीरदार कभी अपनी जमीन जो कृषक मजदूर को देते थे, उसमें वह खुद कभी काम नहीं करते थे। वह काम कृषक मजदूर से ही कराते थे। कृषक मजदूर वहां पर काम किया करते थे।
जमींदार राजा को कर कैसे दिया करते थे।
जमींदार के नीचे कृषक मजदूर काम करते हैं। कृषक मजदूर खेतों में काम करते हैं जमीनो से जो उत्पाद निकलता है, जितना भी उत्पाद निकला, उसे पूरा हड़प लेते थे।
कृषक मजदूर को इसके बदले क्या देते थे।
कृषक मजदूर को पूरे उत्पाद का जितना निकला है, उसका एक छोटा सा हिस्सा दे देते थे। ताकि वह जिंदा रह सके। अगर कृषक मजदूर जमींदार की जमीन से भाग जाते हैं तो फिर क्या होता है। वैसे कृषक मजदूर को अनुमति नहीं होती थी कि वह जमींदार की जमीन छोड़ दें, लेकिन अगर कोई कृषक मजदूर उनकी जमीन छोड़कर भाग गया। और किसी और जमींदार की जमीन पर पहुंच गया और वहां के जमींदार ने उसे पकड़ लिया।
जैसे कि आप जानते है कि राजा आपने अंतर्गत कई जमींदार को नियुक्त करता था। और उन लोग अर्थात् जमींदारो को एक क्षेत्र दे देता था। मान लो इस इलाके से कृषक मजदूर है। वह भाग कर दुसरे जमींदार की जमीन में पहुंच गया या फिर उसे किसी सिपाही ने उसको पकड़ लिया। तो फिर उसको तुरंत मार दिया जाता था । यह पूरा जो व्यवस्था है, जिसमें राजा, जमीदार से लेकर मजदूर तक क्या होता है, जिस तरीके से यह पूरी व्यवस्था चलती था इसे ही सामंतवाद व्यवस्था कहते थें।